Wednesday, September 30, 2015

लौटा राही

रात मगन सुनसान पवन थी
दिल की चोटें क्रूर अगन सी
जला सकीं ना पर घायल कर गयी
भूली यादें बीते क्षण की

आज था फिर सुनसान किनारा  वोही चांदनी फिर बिखरी थी
चाँद फिर मध्हम और शांत था लहरें फिर कोलाहल करती थी
आज न थी पर मिलन कि रात आज हरे नहीं वन के पात
 पतझड़ वन में पतझड़ मन में  ,  मीत नहीं था थामे हाथ  

Friday, June 12, 2015

देख कबीरा रोया

देख कबीरा रोया

 चलती  का नाम गाडी! ना जाने कितनी बार ये वाक्य मैं सुन चूका हूँ. किन्तु इसके हर शब्द का सही मतलब और उसका प्रसंग समझने में मुझे २५ साल लग गये. १० साल पहले मुझे ये पता चला की ये मशहूर कहावत कबीरदास जी के एक एक दोहे पे आधारित है. ये दोहा भी मैंने राज कपूर की एक फिल्म जागते रहे के एक गाने की शुरुवाती पंक्तियों के रूप में सुना थ. मुकेश का मशहूर गाना था "ज़िन्दगी ख्वाब है। ." और दोहा था  

 रंगी को नारंगीकहे बने दूध को खोया। 
चलती को गाडी कहे देख कबीरा रोया।।

अर्थात रंगी हुई चीज को दुनिया नारंगी कहती है !और जब दूध ' बन'  जाता है तो उसे खोया (spoiled या बिगड़ा ). स्पष्ट उदहारण विरोधाभास का. पर चलती को गाडी कहने में विरोधभास् कहाँ है ये बात मुझे तब में नही आई जब तब मुझे ये एहसास नही हुआ की गाडी का मतलब गड़ी हुई चीज से है. मैं इसका मतलब निकलता रहा “जो कुछ भी चल जाए उसे गाडी कहते हैं “ ( whatever moves is a vehicle ).
पर ये बात समझने में मुझे सालों लग गए कि गाडी कहकर कबीरदास जी जमीन में गडी हुई वस्तु कि तरफ इशारा कर रहे हैं जो कभी हिल नही सकती. उनका कहना है दुनिया चलती हुई चीज को जमीन में गाड़ी हुई चीज कहती है.

here is the : Song 

Wednesday, April 22, 2015

मेरे साथी खाली जाम

महफ़िल से उठ  जाने वालों तुम लोगों पर क्या इलज़ाम
तुम आबाद  घरों के वासी मैं आवारा  और बदनाम 
मेरे साथी मेरे साथी मेरे साथी खाली जाम
मेरे साथी खाली  जाम

दो दिन तुमने प्यार जताया दो दिन तुमसे मेल रहा 
अछा खासा वक़्त कटा अछा खासा खेल रहा
(अछा खासा खेल रहा )
अब उस खेल का जिक्र ही कैसा वक़्त कटा और खेल तमाम 
मेरे साथी .... 

तुमने ढूंढी सुख की दौलत मैंने पाला  ग़म का रोग 
कैसे बनता कैसे निभाता ये रिश्ता और ये संयोग 
मैंने दिल को दिल से टोला तुमने मांगे प्यार के दाम 

मेरे साथी मेरे साथी ....... 

तुम दुनिया को बेहतर समझे मैं पागल था ख्वार हुआ 
तुमको अपनाने निकला था खुद से भी बेजार हुआ 
(खुद से भी बेजार हुआ। .)
देख लिया घर फंक तमाशा जान लिया अपना अंजाम 

मेरे साथी  मेरे साथी मेरे साथी खाली जाम  ………
मेरे साथी खाली जाम
मेरे साथी खाली  जाम। .......


………………………।      साहिर लुधियानवी


https://www.youtube.com/watch?v=xZ0Bc7zfkIo

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